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Continue reading →: East । पूर्व दिशा का प्रभाव वास्तुशास्त्र में
East । पूर्व दिशा का प्रभाव वास्तुशास्त्र में पूर्व दिशा के स्वामी ग्रह सूर्य हैं तथा देवता इंद्र हैं। यह दिशा अग्नि तत्व को प्रभावित करती है। हमारे शास्त्रों में सूर्य को जीवन का आधार माना गया है अर्थात सूर्य ही जीवन है। जिसकी वजह से वास्तुशास्त्र में इस दिशा को हमारी पुष्टि एवं मान-सम्मान की…
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Continue reading →: Sunday ko janm lene wale।रविवार के दिन जन्म लेने वाले
अक्सर मुझे ऐसे लोग मिलते हैं जो कहते हैं पंडित जी मेरा फलां दिन का जन्म हुआ है मेरे बारे में कुछ बताइए, मुझे मेरी जन्म तिथि, दिनांक, सन, समय कुछ भी ज्ञात नहीं बस यही दिन पता है कि मेरा जन्म रविवार को हुआ है । तो यह आर्टिकल उन्हीं लोगों के लिए है। रविवार के दिन जन्म लेने वाले…
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Continue reading →: Dipawali pe shri yantra pujan ka mahtv
दीपावली पर श्री यंत्र की पूजा व श्री सूक्त का पाठ करना अत्यधिक संवृद्धि कारक माना गया है। यंत्र शास्त्र में श्री यंत्र को सर्वोपरि माना गया है। हमारे सभी महान ऋषि-मुनियों, आध्यात्मिक गुरुओं ने धन-लाभ, सुख-सौभाग्य, सर्वसिद्धि, सर्व कष्ट निवारण, सर्व व्याधिनाश तथा सर्व भय विनाश के लिए श्रीयंत्र…
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Continue reading →: How to know negative energy at home? कैसे जाने घर मे नेगेटिव ऊर्जा है?
घर मे प्रवेश करते ही आप को उदासी महसूस हो, घर मे रहते हुए हर पल आलस्य आता हो और घर से बाहर निकलते ही आप स्फूर्ति महसूस करें, कुछ अच्छा न लगता हो, अक्सर बिना किसी बड़ी बात के भी घर मे चिड़चिड़ का माहौल बन जाये, संध्या समय…
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Continue reading →: Watch “कंपास से घर की सही दिशा कैसे जाने? Compass se ghar ki sahi disha kaise jane?” on YouTube
प्रिय पाठकों आईये इस विडिओ के माध्यम से जानने का प्रयास करें कि एक दिशा सूचक यंत्र (कम्पास ) के माध्यम से हम अपने घर, प्लाट, दुकान अथवा फैक्ट्री की सही दिशा कैसे जाने?यह विडिओ बनाने का विचार मुझे तब आया जब मेरे कई क्लाईन्ट्स जब घर अथवा कोई भी…
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Continue reading →: गुरु पूर्णिमा की शुभकामनाएं
आप सभी मित्रों को गुरुपूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं संस्कृत में ‘गुरु’ शब्द का अर्थ है ‘अंधकार को मिटाने वाला।’ ‘गुरु’ शब्द में ‘गु’ का अर्थ है ‘अंधकार’ और ‘रु’ का अर्थ है ‘प्रकाश’ अर्थात् गुरु का शाब्दिक अर्थ हुआ ‘अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने वाला मार्गदर्शक’। सही अर्थों…
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Continue reading →: shankhpal kalsarp yog। शंखपाल कालसर्प योग
shankhpal kalsarp yog। शंखपाल कालसर्प योग जन्मकुण्डली में जब राहु चौथे भाव में और केतु दशवें भाव में हो इनके बीच सारे ग्रह स्थित हों तो शंखपाल नामक कालसर्प योग बनता है। जातक को घर, वाहन, माता का अपेक्षित सुख नहीं मिलता । कभी-कभी बेवजह चिंता घेर लेती है तथा विद्या प्राप्ति में भी उसे आंशिक रूप…
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Continue reading →: vashuki kalsarp yog । वासुकि कालसर्प योग
vashuki kalsarp yog । वासुकि कालसर्प योग जन्मकुण्डली में जब राहु तीसरे घर में और केतु नवम भाव में और इनके बीच सारे ग्रह स्थित हों तो वासुकी नामक कालसर्प योग बनता है। फल स्वरूप जातक को प्रायः अपने पारिवारिक सदस्यों और छोटे भाई-बहनो के कारण अनेक कष्ट और तनाव झेलने पड़ते हैं। रिश्तेदार एवं मित्रगण उसे प्राय: धोखा…
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Continue reading →: Ruby । सूर्य रत्न माणिक्य
Ruby सूर्य रत्न माणिक्य सूर्य रत्न माणिक्य एक मूल्यवान एवं पारदर्शी गुलाबी आभा लिए हुए लाल रंग का पत्थर होता है। यह थाईलैंड, बैंकाक, काबुल, अमेरिका के कैरोलिना, श्री लंका, वर्मा आदि देशों की खदानों से प्राप्त होता है । वर्मा और श्री लंका का माणिक्य अच्छा माना जाता है। …
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Continue reading →: kulik kalsarp yog कुलिक कालसर्प योग और उपाय
kulik kalsarp yog । कुलिक कालसर्प योग और उपाय जन्मकुण्डली में राहु दूसरे घर में हो और केतु अष्टम भाव में हो और सभी ग्रह इन दोनों ग्रहों के मध्य हों तो कुलिक नाम कालसर्प योग बनता है। इस योग के फल स्वरूप जातक को सदैव कोई न कोई रोग हुआ रहता है। प्रायः मुख व गुदा…